बिग थ्री की जगह कौन ? योगेश शर्मा (खेल संवाददाता ) नई दिल्ली। भारत के टेस्ट क्रिकेट में इस त्रिमूर्ती का अहम योगदान है। भारतीय टीम टेस्ट में शानदार प्रदर्शन कर रही है तो इस त्रिमूर्ति के योगदान को नहीं भूला जा सकता।

योगेश शर्मा 
(खेल संवाददाता )
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नई दिल्ली। भारत के टेस्ट क्रिकेट में इस त्रिमूर्ती का अहम योगदान है। भारतीय टीम टेस्ट में शानदार प्रदर्शन कर रही है तो इस त्रिमूर्ति के योगदान को नहीं भूला जा सकता। यह त्रिमूर्ति दशकों से भारतीय क्रिकेट के लिए शानदार काम कर रही है वह सचिन तेंदुलकर , राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण हैं। यदि सचिन तेंदुलकर , राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण अचानक से रिटायरमेंट लिया तो भारतीय बल्लेबाजी की कमर टूटी नजर आएगी और ये शायद जल्द ही हकीकत बनती नजर आए क्योंकि अगर आज ऑस्ट्रेलिया टेस्ट क्रिकेट मे अपनी बादशाहत कायम नहीं रख पाया है तो उसके पीछे उसके दिग्गज खिलाडि़यों का एक साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास ले लेना है ।
अगर भारत के ये तीनों दिग्गज खिलाड़ी एक साथ सन्यास ले लिया तो शायद भारत की बादशाहत भी खत्म हो जाए। इन तीनों बल्लेबाजां के टेस्ट क्रिकेट के अनुभव को देखा जाए तो भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिए यह कठिन चुनौती है इनके रिक्त स्थानो के भरने के लिए ।इन तीनों खिलाडि़यो की महानता इस बात से झलकती है कि क्रिकेट जगत से उनकी बिदाई की इबारत कई बार लिखी जा चुकी है लेकिन वो हर बार गेंदबाजां के लिए एक बुरे सपने की तरह उभरकर सामने आते हैं।
  क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर मैदान पर अपने प्रदर्शन से टीम को संकट से निकालते है वहीं नानस्टाइकर पर खेल रहे खिलाड़ी की हौसला अफजाई करके खिलाते भी हैं।
संकटमोचक या वेरी वेरी स्पेशल कहे जाने वाले वीवीएस लक्ष्मण अपनी कलाई के जादू से हर देश के खिलाफ अपना बल्ला चलाया है।   कई मैचों में लक्ष्मण ने अपने दम पर हारे हुए मैच भी जिताएं हैं। लक्ष्मण ने 124 टेस्ट खेले जिसमें 8212 रन 16 शतक 54 अधर्शतक लगाए हैं। ये इंग्लैड दौरा इन तीनों बल्लेबाजों का आखिरी दौरा हो सकता है क्योंकि लक्ष्मण इस नवंबर में 37 साल के हो जाएंगे वहीं सचिन और द्रविड अपना 39 वे जन्मदिन का जश्न मनाएंगे बीसीसीआई इनकी जगह भरने के लिए जिन युवा खिलाडि़यां को आगे प्रमोट कर रहा है उनमें चैतेश्वर पुजारा, विराट कोहली, सुरेश रैना, युवराज सिंह है।   
कोहली से उम्मीदे- भारतीय सेलेक्टरों ने शायद रक्षात्मक नीति अपनाई जो कोहली को इंग्लैड दौरे पर मौका नहीं दिया लेकिन वो 22 साल के हैं और बिग थ्री की जगह भरने का माद्दा रखते हैं। कोहली का एक चरित्र है यदि उन्हें टीम में जगह मिलने का मौका मिल जाए तो वह अपनी जगह को छोड़ते नहीं हैं।
भविष्य का कप्तान रैना-तेज शार्ट पिच गेदों के खिलाफ रैना की कमजोरी जगजाहिर हुई थी और यह कमजोरी इंग्लैड दौरे पर देखी जा सकती है लेकिन उनके अंदर यह जज्बा है कि वह अपनी इस कमजोरी से भी निजात पा सकते हैं  रैना में भविष्य का कप्तान दिखाई देता है। वे जिम्बाब्वे दौरे पर भारतीय टीम का नेतृत्व भी कर चुके हैं।
पुजारा में भविष्य-अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में तेईस साल के पुजारा की ज्यादा परीक्षा नहीं हुई है लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपनी ठोस तकनीक और लंबी पारी की भूख दिखाई है जिससे उन्हें द्रविड के स्वाभाविक उतराधिकारी के तौर देखा जा रहा है।
युवराज का अनुभव- भारत को वल्र्ड कप जिताने में अपनी अहम योगदान देने वाले युवराज सिंह इतने समय से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे हैं और उनका एकदिवसीय मैचों मे स्थान पक्का है मगर आश्चर्य इस बात से है कि वो अपनी जगह टेस्ट टीम में पक्की नहीं कर पाये क्योंकि उनकी भी परेशानी शार्ट पिच गेंदबाजी है जो इंग्लैड के दूसरे मैच की दूसरी पारी में जगजाहिर हुई थी। अगर वह अपनी शार्ट पिच की कमजोरी से निजात पा लेते हैं। और वह अपना टेस्ट में शानदार प्रदर्शन जारी रखते है तो वह बिग थ्री की जगह भर सकते हैं।
अगर बीबीसीआई ने इन बिग थ्री की जगह को लेकर कोई उपाय जल्द नहीं ढूंढ़ा तो वो दिन दूर नहीं जब भारत भी टेस्ट क्रिकेट में अपनी बादशाहत खो बैठे।